“रात के अंधेरे में बिजली विभाग का लाखों का खेल: तबादला हुआ अधिकारी जेबें भरने में जुटा,
मिडिया की भनक से फाइलें लेकर भागे साहब!"

रात के अंधेरे में, बाड़मेर के विधुत विभाग के सिटी सेकंड कार्यालय में कुछ दिलचस्प और आश्चर्यजनक घटनाएँ घटित हो रही थीं। एक अधिकारी, जिसका तबादला हो चुका था, अपनी निष्ठा का ऐसा प्रमाण दे रहा था कि कार्यालय समय खत्म होने के बाद भी रात 10 बजे तक मेहनत में जुटा रहा। लेकिन यह निष्ठा कार्यालय के कामों के लिए नहीं, बल्कि अपने खुद के जेब की मोटाई बढ़ाने के लिए थी।
रात का वक्त, अंधेरा, और बिजली विभाग – इस कहानी में सब कुछ कनेक्शन से जुड़ा था, लेकिन यहाँ कनेक्शन करवाने वालों से सिर्फ विभागीय राशि नहीं ली जा रही थी, बल्कि कुछ अतिरिक्त जेबें भी भारी हो रही थीं। दलालों की सहायता से अब तक 86 फाइलों का काम निपटाया गया, और लाखों की रकम ऐसे उड़ान भर रही थी जैसे विभागीय नियम-कायदे सिर्फ कागजों तक सीमित हों।
अँधेरी रात में दिया उम्मेदाराम जी के हाथ में
सूत्र बताते हैं कि साहबजी, जिनके तबादले के बाद अब कार्यालय में नहीं होना चाहिए था, मीडिया की भनक लगते ही फाइलें उठाकर घर की ओर कूच कर गए। बाबूजी ने भी बड़ा दिल दिखाया और ‘एस्टिमेंट’ का वादा करते हुए घर जाकर आराम फरमा लिया। रही बात जेई साहब की, तो वे भी ऐसे गायब हुए जैसे किसी ने उनके धोती के तार खींच दिए हों – डर का आलम तो देखिए!
सबसे रोचक हिस्सा तब आया जब एसी साहब से संपर्क किया गया। उनका जवाब? “हमें ज्यादा जानकारी नहीं है, बस यही पता है कि डिमांड राशि ली जा रही है।” अरे, एसी साहब! आप अपने विभाग के मुखिया हैं, नियम-कायदे भी आप ही जानते हैं। अब सवाल उठता है – रात के अंधेरे में कौनसी डिमांड राशि इतनी गोपनीयता से वसूली जाती है? आप जिस तरह से अपने अधिकारी का बचाव कर रहे हैं, उससे दाल में कुछ नहीं, पूरी दाल काली दिख रही है!
कहावत है, “हर डाल पर भ्रष्टाचारी कबूतर बैठे हैं”, और यहाँ बाड़मेर के बिजली विभाग में तो पूरी डाल ही उनके नाम कर दी गई है। अब देखते हैं, कल की रोशनी में जांच की कोई उम्मीद जगती है या अंधेरा कायम रहता है!